Tuesday 22 April 2014

माँ तेरी ममता !


माँ तेरे ममता में मई ऐसा खोया,
तेरे लिए माँ मेरा प्यार कभी नई सोया

रोज सुबह उठकर जब बैठता हु,
नम आँखोसे माँ तुज ही को ढूंढ़ता हु!

तुझीसे बात करके मेरे दिन का सूरज सजता है,
मेर दिन तुझिपे शुरू और तुझि पे अंत होता है|

घरके खाने की महक आये अरसो हुए,
माँ तेरे हाथ का खाना खाये बरसो हुए|

माँ कहती है जीवन ज्ञान का भंडार है,
जितना समेत सको समेटलो, यही गीता सार है|

हर रुपैये का हिसाब, हर पल का मोल रखना,
बेटा इन दो चीजो में कभी नई चूकना|

परवरदिगार कटेली राह पर फूल संजोता है,
माँ तेरा आशीष जब साथ होता है|

इस बेटे का है बस तुझसे इतना कहना,

युही हर मोड़ पर माँ तू हाथ देना,
युही हर मोड़ पर माँ तू साथ रहना!

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