विजयी विश्व तिरंगा प्यारा - झंडा ऊंचा रहे हमारा |
जी रहे थे हम, बस युही मन खोकला कर रहे थे हम |
इस मनमुटाव की परिभाषा को कोई तो समझे
एक उज्वल भवितव्य के लिए आखे तरसे |
इस संवेदना की तड़प हमे उजाले के तरफ खेंचती है
नमो नमो का जप लागए बैठे,
हम में आशा की किरण सींचती है |
ये आशा है एक प्रभावी शासन की ;
पीड़ित भारत माँ को दिलासे के आसान की |
ना बाबा की जड़ीबूटी ना ऐशो-आराम हम मांगते है,
केवल शिक्षा, रोजगार और चैन की नींद हम चाहते है |
हम चाहते है कि हमें काम करने का अवसर मिले,
हमारे कर भुगतान का कुछ तोह अंश हमें वापस मिले |
सड़क पे नारी, बुड्ढा या बच्छा घूमे तोह बेफिक्र होकर,
नौजवान चले तोह अपने कमाए पैसो की शान लेकर |
शान हो घमंड नहीं, अभिमान मिले, धुत्कार नाही |
भगत सिंघ के चुकाए कीमत की होगी कोई तो वजह
ना जाने क्यू मिल रही है हमे एक स्वतंत्र भारत में गैरो जैसी सजा |
त्सुनामी ने देश उजाड़ा सारा, तसु-'नमो' ने आश्वासन का दिया सहारा |
'श्री नरेंद्र मोदीजी' आपके नेतृतव में हम सुरक्षित महसूस करना चाहते है ,
अब्दुल कलाम का "इंडिया २०२०" का सपना हम आपके आँखोसे देकना चाहते है |
आपके दूर दृष्टि के तेज से फूलते 'कमल' का दृश्य हमे दिखा है ,
उससे कुछ नसमाज 'हाथो'ने जरूर एक सबक सीखा है |
हम आपसे नहीं, बल्कि आज हम आपको भरोसा दिलाते है ,
ना कभी थकेंगे ना कभी रुकेंगे, आपके बताये रस्ते पर हम जरूर चलेंगे!
भविष्य में आपकी बोली में "मेरे गुजरात" के जगह "मेरे भारत" के गौरवशाली किस्से सुन ना पसंद करेंगे!
आएंगे मोटाभाई! अब अच्छे दिन जरूर आएंगे !!